व्यापारिक प्रतिष्ठान में नवग्रहों की कृपा हेतु वास्तु सुझाव

व्यापारिक प्रतिष्ठान में नवग्रहों की कृपा हेतु वास्तु सुझाव

विषय सूची

व्यापारिक प्रतिष्ठान में नवग्रहों का महत्व

भारतीय संस्कृति में नवग्रहों की भूमिका

भारतीय संस्कृति में नवग्रह—सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु—को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि ये ग्रह हमारे जीवन के हर क्षेत्र पर प्रभाव डालते हैं, विशेषकर व्यापार और व्यवसाय में। भारत में व्यापारिक प्रतिष्ठानों में नवग्रहों की कृपा पाने हेतु वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों का पालन किया जाता है।

नवग्रह और व्यवसाय में उनका प्रभाव

व्यापार में सफलता और समृद्धि के लिए नवग्रहों की सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करना भारतीय समाज का एक अभिन्न हिस्सा है। प्रत्येक ग्रह किसी न किसी प्रकार से व्यवसाय से जुड़ा हुआ है। नीचे दिए गए सारणी में प्रत्येक ग्रह के व्यापार में प्रभाव को सरल शब्दों में समझाया गया है:

ग्रह व्यवसाय पर प्रभाव संबंधित क्षेत्र
सूर्य नेतृत्व क्षमता, मान-सम्मान, सरकारी कार्यों में सफलता प्रशासन, सरकारी अनुबंध
चंद्र मानसिक संतुलन, ग्राहकों से अच्छे संबंध दूध-उत्पाद, होटलिंग
मंगल ऊर्जा, निर्णय क्षमता, साहसिक निवेश भूमि-सम्बन्धी व्यापार, कंस्ट्रक्शन
बुध बुद्धिमत्ता, संचार कौशल, व्यावसायिक नेटवर्किंग मार्केटिंग, मीडिया
बृहस्पति विस्तार एवं उन्नति, नैतिकता एवं सलाहकार कार्य शिक्षा, वित्तीय सलाहकार
शुक्र आकर्षण शक्ति, विलासिता वस्तुओं का व्यापार फैशन, आभूषण, होटल उद्योग
शनि धैर्य और स्थिरता, दीर्घकालिक योजनाएं सफल बनाना लोहे-इस्पात उद्योग, मशीनरी व्यापार
राहु नई तकनीक एवं नवाचार में सफलता या जोखिम लेना इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी)
केतु गुप्त सौदे एवं अचानक लाभ या हानि का संकेतक रिसर्च एंड डेवलपमेंट, रहस्यमय उत्पाद/सेवा
भारतीय व्यवसायों में नवग्रह पूजा की परंपरा

भारत के अनेक व्यापारिक प्रतिष्ठान अपने कार्यालय या दुकान खोलने से पूर्व नवग्रह पूजा करते हैं ताकि वे ग्रहों की कृपा प्राप्त कर सकें। यह विश्वास किया जाता है कि सही वास्तु उपाय अपनाने तथा नवग्रहों का ध्यान करने से व्यवसाय में बाधाएँ दूर होती हैं और समृद्धि आती है।

2. वास्तु शास्त्र की बुनियादी अवधारणाएँ

भारतीय व्यापारिक प्रतिष्ठानों में नवग्रहों की कृपा और समृद्धि के लिए वास्तु शास्त्र के मूल सिद्धांत अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। वास्तु शास्त्र का उद्भव भारत की प्राचीन सभ्यता में हुआ था, जहां भवन निर्माण, व्यापारिक स्थल या घर की योजना बनाते समय पंचतत्त्व (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) और दिशाओं का विशेष ध्यान रखा जाता है।

वास्तु शास्त्र के मूल सिद्धांत

तत्त्व महत्व व्यापार में उपयोगिता
पृथ्वी (भूमि) स्थिरता एवं स्थायित्व कार्यालय/दुकान का मुख्य द्वार उत्तर या पूर्व दिशा में होना शुभ माना जाता है
जल शुद्धता एवं प्रवाह जल स्रोत जैसे पानी का कूलर या वाटर टैंक उत्तर-पूर्व में रखें
अग्नि ऊर्जा एवं प्रेरणा बिजली उपकरण या कैश काउंटर दक्षिण-पूर्व दिशा में रखें
वायु स्वास्थ्य एवं संचार खिड़कियाँ एवं वेंटिलेशन उत्तर-पश्चिम दिशा में होने चाहिएं
आकाश खुलापन एवं विस्तार मुख्य हाल या मीटिंग एरिया केंद्र में खुला रखें

भारत में व्यापारिक प्रतिष्ठानों के संदर्भ में सांस्कृतिक प्रासंगिकता

भारतीय संस्कृति में यह माना जाता है कि यदि व्यापारिक स्थल को वास्तु शास्त्र के अनुसार तैयार किया जाए, तो वहां सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है और नवग्रहों की कृपा बनी रहती है। उदाहरण स्वरूप, गणेश जी की मूर्ति मुख्य प्रवेश द्वार के दाईं ओर स्थापित करना शुभ होता है; साथ ही श्री यंत्र या स्वस्तिक चिह्न लगाने से भी आर्थिक समृद्धि आती है। इसी प्रकार भारतीय व्यापारी आज भी नए प्रतिष्ठान खोलने से पूर्व वास्तु विशेषज्ञ से परामर्श करते हैं। इससे व्यवसाय में शुभ आरंभ और ग्रहों की अनुकूलता सुनिश्चित होती है। इस प्रकार वास्तु के ये सिद्धांत न केवल भौतिक बल्कि मानसिक व आध्यात्मिक संतुलन भी देते हैं, जो भारतीय व्यापारिक संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं।

व्यापार स्थल का अनुकूल दिशा चयन

3. व्यापार स्थल का अनुकूल दिशा चयन

नवग्रहों के अनुसार व्यापार स्थल और दिशाओं का महत्व

भारतीय वास्तु शास्त्र में नवग्रहों की कृपा प्राप्त करने के लिए व्यापारिक प्रतिष्ठान की स्थापना करते समय दिशा का चयन अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। हर ग्रह एक विशेष दिशा से जुड़ा हुआ है और उस दिशा का सही उपयोग व्यवसाय में समृद्धि लाता है। यहाँ नवग्रहों के अनुसार व्यापार स्थल के लिए उचित दिशाएँ और उनसे जुड़े पारंपरिक वास्तु उपाय बताए गए हैं:

दिशाओं का चयन एवं नवग्रह संबंधी वास्तु उपाय

ग्रह अनुकूल दिशा वास्तु उपाय
सूर्य (Sun) पूर्व (East) मुख्य द्वार पूर्व में रखें, प्रवेश द्वार को स्वच्छ व प्रकाशपूर्ण रखें।
चन्द्रमा (Moon) उत्तर-पश्चिम (North-West) इस दिशा में जल स्रोत या कांच की वस्तुएँ रखें।
मंगल (Mars) दक्षिण (South) इस दिशा में लाल रंग का प्रयोग करें, भारी सामान रखें।
बुध (Mercury) उत्तर (North) व्यापारिक लेन-देन इसी दिशा में करें, हरे पौधे लगाएँ।
गुरु (Jupiter) उत्तर-पूर्व (North-East) पूजा स्थान या तिजोरी इस दिशा में रखें। साफ-सफाई बनाए रखें।
शुक्र (Venus) दक्षिण-पूर्व (South-East) इलेक्ट्रॉनिक उपकरण या कैश काउंटर यहाँ रखें। सफेद रंग का प्रयोग करें।
शनि (Saturn) पश्चिम (West) भारी सामान या स्टोरेज इसी दिशा में रखें, नीला रंग शुभ होता है।
राहु (Rahu) दक्षिण-पश्चिम (South-West) महत्वपूर्ण दस्तावेज और तिजोरी यहाँ सुरक्षित रखें। गहरे रंग उपयोग करें।
केतु (Ketu) उत्तर-पूर्व (North-East) धूप-दीप जला कर सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखें। अनावश्यक सामान न रखें।

स्थल चयन के भारतीय पारंपरिक सुझाव

स्थान चयन: व्यापारिक प्रतिष्ठान के लिए ऐसे स्थल का चयन करें जहाँ पर्याप्त प्राकृतिक रोशनी और वायु संचार हो, जिससे सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे।
मुख्य द्वार: पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख्य द्वार रखने से नवग्रहों की कृपा मिलती है और व्यवसाय वृद्धि होती है।
तिजोरी/कैश बॉक्स: तिजोरी को हमेशा दक्षिण-पश्चिम दीवार से सटाकर उत्तर दिशा की ओर मुँह करके रखें। इससे धन स्थिर रहता है।
पूजा स्थान: पूजा घर उत्तर-पूर्व कोने में होना शुभ माना जाता है; यहाँ नियमित दीपक जलाने से सकारात्मकता बनी रहती है।

इन सरल पारंपरिक वास्तु उपायों को अपनाकर न केवल नवग्रहों की कृपा प्राप्त होती है बल्कि व्यापार में निरंतर प्रगति भी सुनिश्चित होती है। सही दिशा और स्थान चुनना भारतीय सांस्कृतिक परंपरा में अत्यधिक महत्व रखता है और आज भी इसके लाभ अनुभव किए जाते हैं।

4. प्रवेश द्वार एवं मुख्य कक्ष की संरचना

व्यापारिक प्रतिष्ठान में प्रवेश द्वार का महत्व

भारतीय वास्तुशास्त्र के अनुसार, किसी भी व्यापारिक प्रतिष्ठान का मुख्य प्रवेश द्वार न केवल शुभ ऊर्जा को आकर्षित करता है, बल्कि नवग्रहों की कृपा प्राप्त करने में भी सहायक होता है। सही दिशा और स्थान पर बना प्रवेश द्वार व्यापार में उन्नति, समृद्धि और सकारात्मक वातावरण लाता है।

प्रवेश द्वार की आदर्श दिशा और स्थान

दिशा लाभ वास्तु सुझाव
उत्तर (North) धन और समृद्धि, बुध ग्रह की कृपा मुख्य द्वार उत्तर दिशा में रखें, हरे रंग का प्रयोग करें
पूर्व (East) सकारात्मकता, सूर्य और गुरु का आशीर्वाद प्रवेश द्वार पूर्व दिशा में बनाएं, उजाले का प्रबंध करें
उत्तर-पूर्व (Northeast) आध्यात्मिक विकास, चंद्र व बृहस्पति का प्रभाव इस दिशा को साफ़ और खुला रखें, पानी या तुलसी का पौधा लगाएं
दक्षिण (South) मंगल ग्रह से संबंधित कार्यों के लिए उपयुक्त अत्यधिक आवश्यकता न हो तो इस दिशा से बचें, लाल रंग कम उपयोग करें
पश्चिम (West) राहु-केतु के प्रभाव को संतुलित करना इस दिशा में भारी वस्तुएं रखें, नीले रंग का प्रयोग करें

मुख्य कक्ष (वर्किंग एरिया) की संरचना एवं व्यवस्था

व्यापारिक प्रतिष्ठान में मुख्य कार्यक्षेत्र की उचित व्यवस्था व्यवसाय की सफलता के लिए अत्यंत आवश्यक है। नीचे दिए गए वास्तु सुझाव अपनाकर नवग्रहों की कृपा प्राप्त की जा सकती है:

मुख्य कक्ष के लिए वास्तु टिप्स:
  • बैठने की दिशा: मालिक या प्रबंधक को ऐसे बैठना चाहिए कि उनका मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर हो। इससे सूर्य और बुध ग्रह की ऊर्जा मिलती है।
  • टेबल-कुर्सी का स्थान: टेबल दीवार से कुछ दूरी पर रखें, ताकि ऊर्जा का प्रवाह बाधित न हो। टेबल के सामने कोई खिड़की या दरवाजा होना शुभ माना जाता है।
  • तिजोरी/कैश काउंटर: तिजोरी को दक्षिण-पश्चिम (South-West) दिशा में रखें और इसका मुंह उत्तर या पूर्व की ओर खुलना चाहिए। यह कुबेर देवता की कृपा दिलाता है।
  • रोशनी और वेंटिलेशन: प्राकृतिक रोशनी एवं ताजी हवा का पर्याप्त प्रबंध करें। इससे स्थान पर सकारात्मकता बनी रहती है।
  • रंगों का चयन: हल्के हरे, पीले या नीले रंग का उपयोग करें; ये नवग्रहों के अनुकूल माने जाते हैं। गहरे या भड़कीले रंगों से बचें।
  • डेकोरेशन: मुख्य कक्ष में भगवान गणेश, लक्ष्मी जी अथवा नवग्रह यंत्र स्थापित कर सकते हैं। यह धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी शुभ माना जाता है।

स्थानीय भारतीय संदर्भ में विशेष सुझाव

  • नवग्रह प्रतीक चिह्न: प्रतिष्ठान के प्रवेश द्वार या मुख्य कक्ष में नवग्रह प्रतीक अथवा चित्र लगाने से ग्रह दोष कम होते हैं।
  • स्वस्तिक अथवा ओम चिन्ह: द्वार पर स्वस्तिक अथवा ओम अंकित करना भारतीय परंपरा में अत्यंत शुभ समझा जाता है।
  • Tulsi या Money Plant: उत्तर-पूर्व कोने में तुलसी या मनी प्लांट रखने से ऊर्जा संतुलन बनता है।
  • Aarti अथवा Deepak: प्रतिदिन सुबह दीपक जलाना और छोटी सी आरती करना वातावरण को पवित्र रखता है।

इन सरल वास्तु उपायों को अपनाकर आप अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान में नवग्रहों की कृपा और सकारात्मक ऊर्जा बनाए रख सकते हैं, जिससे व्यापार निरंतर प्रगति करे और सुख-समृद्धि बनी रहे।

5. नवग्रहों के अनुरूप रंग, प्रतीक एवं सज्जा

व्यापारिक प्रतिष्ठान में नवग्रह अनुसार रंग और प्रतीकों का महत्त्व

भारतीय वास्तु शास्त्र और ज्योतिष के अनुसार, व्यापार स्थल पर सही रंगों, प्रतीकों (जैसे यंत्र या मूर्तियाँ) तथा सज्जा का प्रयोग करने से नवग्रहों की सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। इससे व्यापार में तरक्की, सुख-शांति और समृद्धि आती है। नीचे तालिका में प्रत्येक ग्रह के अनुरूप रंग, प्रतीक एवं सजावट के उपाय दिए गए हैं:

ग्रह अनुरूप रंग मुख्य प्रतीक/यंत्र वास्तु-सज्जा उपाय
सूर्य (Sun) लाल, सुनहरा सूर्य यंत्र, सूर्य देव की प्रतिमा मुख्य द्वार के पास लाल या सुनहरे रंग की सजावट रखें, सूर्य प्रतिमा पूर्व दिशा में स्थापित करें।
चंद्र (Moon) सफेद, हल्का नीला चंद्र यंत्र, शंख या चाँदी का टुकड़ा उत्तर-पश्चिम दिशा में सफेद पर्दे लगाएँ, शंख या चाँदी की वस्तु रखें।
मंगल (Mars) लाल, गुलाबी मंगल यंत्र, लाल मूंगा पत्थर दक्षिण दिशा में लाल फूल या चित्र लगाएँ। मंगल यंत्र स्थापित करें।
बुध (Mercury) हरा बुध यंत्र, तुलसी का पौधा पूर्वोत्तर दिशा में हरे पौधे रखें; बुध यंत्र लगाएँ।
गुरु (Jupiter) पीला, सुनहरा गुरु यंत्र, पीले फूल उत्तर-पूर्व दिशा में पीली चीजें व गुरु यंत्र रखें। गुरुवार को सफाई करें।
शुक्र (Venus) सफेद, हल्का नीला/गुलाबी शुक्र यंत्र, सफेद क्रिस्टल या मोती दक्षिण-पूर्व दिशा में सफेद रोशनी या पर्दे लगाएँ। शुक्र यंत्र रखें।
शनि (Saturn) नीला, काला शनि यंत्र, काले तिल/लोहे की वस्तु पश्चिम दिशा में नीला रंग प्रमुख रखें; शनि यंत्र व लोहे की छोटी वस्तु रखें।
राहु (Rahu) काला, धूसर (Grey) राहु यंत्र, गोमती चक्र/नारियल का छिलका दक्षिण-पश्चिम दिशा में राहु यंत्र या गोमती चक्र रखें; अधिक चमकीले रंग से बचें।
केतु (Ketu) भूरा, ग्रे-सफेद मिश्रित रंग केतु यंत्र, कुत्ते की आकृति या मूर्ति दक्षिण-पश्चिम कोने में केतु यंत्र एवं मिट्टी से बने सजावटी सामान रखें।

स्थानीय भारतीय संस्कृति के अनुसार वास्तु-सज्जा के सुझाव:

  • दुकान/ऑफिस प्रवेश द्वार: मुख्य द्वार पर शुभ स्वस्तिक या ओम् का चिन्ह लगाएँ। यह हर ग्रह के लिए शुभ होता है।
  • फूल एवं पौधे: स्थानीय तुलसी, मनी प्लांट जैसे पौधे लगाने से बुध और गुरु दोनों प्रसन्न होते हैं।
  • दीवारों का रंग: ग्रहों के अनुसार दीवारों पर हल्के या गहरे शेड्स चुनें, जिससे सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे।
  • यंत्र स्थापना: ग्रह अनुसार छोटे-छोटे ब्रास या तांबे के फ्रेम वाले यंत्र दुकान/ऑफिस की सही दिशा में रखें।

महत्वपूर्ण नोट:

व्यापारिक प्रतिष्ठान में नवग्रहों के अनुरूप रंग व प्रतीकों का उपयोग करते समय स्थान की सफाई और व्यवस्था भी अवश्य बनाए रखें। इससे ग्रहों की कृपा बनी रहती है तथा व्यापार निरंतर उन्नति करता है।

6. नवग्रह शांति के पारंपरिक उपचार

भारत में नवग्रह शांति के लिए प्रचलित उपाय

व्यापारिक प्रतिष्ठान में नवग्रहों की कृपा प्राप्त करने के लिए भारत में पारंपरिक रूप से कई उपाय अपनाए जाते हैं। यह उपाय न सिर्फ वास्तु शास्त्र के अनुसार होते हैं, बल्कि स्थानीय संस्कृति और मान्यताओं का भी समावेश करते हैं।

नवग्रह शांति हेतु पूजा विधि

नवग्रहों की शांति के लिए विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। इसमें हर ग्रह के लिए अलग-अलग मंत्रों का उच्चारण और पूजा सामग्री का उपयोग होता है। नीचे सारणी में प्रमुख नवग्रह, संबंधित देवता, पूजा का समय और उपयोगी सामग्री दी गई है:

ग्रह संबंधित देवता पूजा का उचित समय मुख्य सामग्री
सूर्य सूर्यदेव रविवार सुबह लाल फूल, गुड़, तांबे का पात्र
चंद्र चंद्रदेव सोमवार रात सफेद फूल, चावल, दूध
मंगल हनुमानजी/मंगलदेव मंगलवार सुबह लाल कपड़ा, मसूर दाल, मूंगा रत्न
बुध भगवान विष्णु/बुधदेव बुधवार सुबह हरा वस्त्र, मूंग दाल, तुलसी पत्ता
गुरु (बृहस्पति) बृहस्पति देव/शिवजी गुरुवार सुबह पीला कपड़ा, चना दाल, हल्दी
शुक्र लक्ष्मी माता/शुक्रदेव शुक्रवार सुबह सफेद फूल, दही, चावल
शनि शनि देव/हनुमानजी शनिवार शाम या सुबह काला तिल, सरसों तेल, काले वस्त्र
राहु-केतु Naga देवता/भैरव जी/दुर्गा माता राहु: शनिवार
केतु: मंगलवार या शनिवार
Kala udad, नीला फूल, धूप-अगरबत्ती

नवग्रह मंत्रों का जप एवं प्रभावी अनुष्ठान

मंत्र जाप:
व्यापारिक प्रतिष्ठान में सकारात्मक ऊर्जा एवं ग्रहों की कृपा बनाए रखने के लिए प्रत्येक ग्रह के बीज मंत्र का जाप करना लाभकारी माना जाता है। उदाहरण स्वरूप:

  • सूर्य: ॐ घृणि सूर्याय नमः (108 बार जप)
  • चंद्र: ॐ सोमाय नमः (108 बार जप)
  • मंगल: ॐ अंगारकाय नमः (108 बार जप)
विशेष अनुष्ठान एवं यज्ञ:
  • नवरात्रि अथवा ग्रह दोष निवारण काल में नवग्रह शांति यज्ञ करना बहुत फलदायी माना गया है।
  • प्रतिष्ठान में नियमित दीपक जलाना व हवन करना भी सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है।

स्थानीय संस्कृति अनुसार सरल उपाय:

  • स्वस्तिक चिन्ह बनाना: दुकान या ऑफिस के मुख्य द्वार पर स्वस्तिक या ॐ का चिन्ह बनाना शुभ माना जाता है।
  • Panchmeva (पंचमेवा) अर्पण: प्रत्येक शनिवार को गरीबों को पंचमेवा या काले तिल दान करना लाभकारी होता है।
  • Tulsi या Sacred Plant लगाना: प्रतिष्ठान के प्रवेश द्वार के पास तुलसी या अन्य शुभ पौधा लगाना वास्तु दोष दूर करता है।

व्यावहारिक सुझाव:

* पूजा स्थान सदैव उत्तर-पूर्व दिशा में रखें
* हर ग्रह की प्रतिमा या यंत्र प्रतिष्ठान में न रखें — केवल शुभ प्रतीकों को ही स्थान दें
* सप्ताहवार दिन अनुसार छोटे-छोटे उपाय जैसे दीपक जलाना, फूल अर्पित करना आदि आसानी से किए जा सकते हैं

इन पारंपरिक उपचारों को अपनाकर आप अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान में नवग्रहों की कृपा एवं सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त कर सकते हैं। भारतीय संस्कृति अनुसार ये उपाय सरल भी हैं और अत्यंत प्रभावी भी।

7. व्यापार में समृद्धि हेतु दैनिक वास्तु दिनचर्या

दैनिक वास्तु उपाय एवं गतिविधियाँ

व्यापारिक प्रतिष्ठान में नवग्रहों की कृपा प्राप्त करने और व्यापार में सफलता लाने के लिए, कुछ सरल दैनिक वास्तु उपाय और गतिविधियाँ अपनाई जा सकती हैं। ये न केवल भारतीय परंपरा में स्वीकार्य हैं, बल्कि आज के आधुनिक व्यावसायिक वातावरण में भी पूरी तरह प्रासंगिक हैं।

मुख्य दैनिक वास्तु दिनचर्या

समय वास्तु उपाय/गतिविधि नवग्रह प्रभाव संक्षिप्त लाभ
प्रातः (सुबह) दुकान/ऑफिस के मुख्य द्वार पर गंगाजल या शुद्ध जल का छिड़काव करें सूर्य, चंद्रमा नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, सकारात्मकता बढ़ती है
प्रारंभिक कार्य समय तुलसी या मनीप्लांट का पौधा उत्तर-पूर्व दिशा में रखें बुध, गुरु आर्थिक वृद्धि और बुद्धिमत्ता में वृद्धि
दोपहर पूर्व (11am-12pm) लक्ष्मी या गणेश जी का ध्यान करें, दीपक जलाएं शुक्र, मंगल शुभ फल और धन-प्राप्ति की संभावना बढ़ेगी
कार्य आरंभ से पहले मेज़ और कार्यस्थल को सुव्यवस्थित रखें, अनावश्यक वस्तुएं हटाएं शनि, राहु-केतु रुकावटें कम होंगी, काम में एकाग्रता आएगी
संध्याकालीन समय (5pm-6pm) अगरबत्ती या धूप जलाएं तथा ओम् का उच्चारण करें सभी नवग्रहों को संतुलित करता है दैनिक तनाव व नकारात्मकता कम होगी, वातावरण पवित्र रहेगा
रात को बंद करते समय मुख्य द्वार पर हल्दी या कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं मंगल, सूर्य व्यापार स्थल की सुरक्षा एवं शुभता बनी रहेगी

भारतीय संस्कृति अनुसार विशेष सुझाव:

  • वास्तु मंत्र जाप: प्रतिदिन ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का 11 बार जाप करें। यह मंत्र नवग्रहों को शांत करता है।
  • ध्वनि चिकित्सा: घंटी या शंख बजाने से प्रतिष्ठान में सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित होती है। सप्ताह में एक बार अवश्य करें।
  • स्वच्छता: दक्षिण-पश्चिम कोना हमेशा साफ-सुथरा रखें; यहाँ गड़बड़ी व्यवसाय में बाधा डाल सकती है।
  • ग्राहकों का स्वागत: ग्राहक आते समय मुस्कान के साथ स्वागत करें; यह शुक्र ग्रह की कृपा को बढ़ाता है।
  • दान-पुण्य: हर गुरुवार को गरीबों या ज़रूरतमंदों को पीली वस्तुएं दान करें; गुरु ग्रह मजबूत होता है।
  • विशिष्ट रंगों का उपयोग: ऑफिस/दुकान की उत्तर दिशा में हरे रंग का प्रयोग बुध ग्रह के लिए शुभ माना जाता है।

व्यापारिक सफलता हेतु भारतीय संदर्भ में सरल वास्तु नियम:

  1. Main Entrance (मुख्य द्वार): पूर्व या उत्तर दिशा में खुलने वाला मुख्य द्वार शुभ रहता है। दरवाज़े पर तोरण लगाएं।
  2. Puja Place (पूजा स्थान): उत्तर-पूर्व कोने में छोटा पूजा स्थल बनाएं; यहां नियमित रूप से दीपक जलाएं।
  3. Kuber Zone (कुबेर जोन): – उत्तर दिशा में तिजोरी या कैश बॉक्स रखें; इसे दीवार से सटा कर नहीं रखें।
  4. No Clutter (अव्यवस्था नहीं): – फाइलें, पुराने कागज़ात, टूटी चीज़ें तुरंत हटा दें; ये राहु-केतु दोष उत्पन्न करते हैं।
*इन सरल दैनिक वास्तु उपायों एवं भारतीय सांस्कृतिक गतिविधियों को अपनाकर व्यापारिक प्रतिष्ठान में नवग्रहों की अनुकूलता प्राप्त की जा सकती है और व्यावसायिक सफलता सुनिश्चित हो सकती है।*